मेरी चूत गांड को लंड की लत लग गयी
मैंने डबल सेक्स का मजा लिया आगे पीछे एक साथ लंड घुसवा कर! पहले तो मुझे डर लगा कि मैं मर जाऊँगी दो लंड अपने अंदर लेकर. पर मुझे बहुत मजा आया.
नमस्कार दोस्तो, मैं मधु, अपनी सेक्स कहानी
से आगे की घटना लेकर आप लोगों के सामने फिर से हाजिर हूं.
अभी तक की कहानी में आपने पढ़ा था कि किस तरह से मेरी जिंदगी में किशोर आया और किस प्रकार से हम दोनों ने अपने जिस्म की भूख मिटाई.
एक बार मेरी चूत में किशोर का लंड घुसा तो मैं बार बार अपनी चूत में उसका लंड लेने लगी.
अब आगे डबल सेक्स का मजा:
किशोर और मैं हमेशा ही चुदाई का मजा लेते रहे और सब कुछ ठीक चल रहा था.
हम दोनों के बारे में अभी तक किसी को कुछ भी पता नहीं चला था, यहां तक कि मेरी किसी सहेली को भी इसकी कोई जानकारी नहीं थी.
मगर हम दोनों का यह राज ज्यादा दिन तक राज नहीं रहा.
फिर मेरी जिंदगी में ऐसी घटना घटी कि किशोर के साथ साथ मुझे कई लोगों के साथ सोना पड़ा.
इस कहानी में आपको मैं उस घटना के बारे में बता रही हूँ.
मेरा और किशोर का मिलना और चुदाई का सिलसिला जारी था.
कभी किशोर के खेत में कभी जंगल में तो कभी नदी के आसपास चुदाई का खेल होने लगा था.
फिर हुआ यूं कि कभी कभी मैं रात में चुपके से घर से निकल कर किशोर के खेत में बने मकान चली जाती थी और चुदाई के बाद सुबह होने से पहले घर वापस आ जाती थी.
इसी तरह एक दिन मेरे घर में भइया भाभी ही थे और मेरे मम्मी पापा शादी के कार्यक्रम के कारण बाहर गए हुए थे.
उस रात मैं किशोर से मिलने के लिए जाने वाली थी.
ठीक 12 बजे रात मैं अपने घर से बाहर निकली और छुपते छुपाते किसी तरह किशोर के खेत चली गयी.
वहां पहुंचने के बाद मैंने देखा कि किशोर शराब के नशे में चूर था क्योंकि उसे शराब पीने की आदत थी.
मैं उसके पास आई तो उस दिन उसने मुझे भी शराब पिला दी.
हम दोनों के बीच चुदाई का दौर शुरू हुआ और करीब एक बजे किशोर मुझे घोड़ी बनाकर मेरी गांड चोद रहा था.
हम दोनों के बीच धुंआधार चुदाई चल रही थी कि अचानक से दरवाजा खुला और दो आदमी सामने खड़े थे.
मैं घोड़ी बनी हुई थी और उसी अवस्था में मैंने उनको देखा. मैं इतनी डर गई … जैसे काटो तो खून नहीं.
तुरंत ही मैं चादर ओढ़ कर बिस्तर पर बैठ गई.
वो दोनों आदमी कोई और नहीं थे, हमारे गांव के ही थे.
एक का नाम अमित और दूसरे का नाम मोनू था.
वो दोनों ही किशोर के दोस्त थे.
मेरा और किशोर का राज खुल गया था क्योंकि उन दोनों ने ही हमें चुदाई करते हुए देख लिया था.
उस दिन शायद नशे के कारण किशोर ने दरवाजा बंद नहीं किया था.
मैंने भी नशे में ज्यादा ध्यान नहीं दिया था.
वो दोनों अन्दर आ गए और दरवाजा बंद कर दिया.
उन्होंने मुझे तो कुछ नहीं कहा मगर किशोर से कहने लगे कि हमें भी चोदने के लिए चूत चाहिए.
काफी देर तक किशोर मना करता रहा मगर वो लोग मानने के लिए तैयार नहीं थे.
हम दोनों को ही डर था कि ये लोग गांव में ये बात फैला देंगे.
उनके नहीं मानने के कारण किशोर ने उनसे कहा- हमें अकेले में बात करने दो, उसके बाद फैसला करते हैं.
इस बात पर वो दोनों हमें अकेले छोड़कर बाहर निकल गए.
किशोर ने मुझसे पूछा- क्या किया जाए, तुम बताओ?
मैं- मैं क्या बताऊं?
किशोर- अगर हम लोग इनकी बात नहीं मानते हैं तो ये पूरे गांव में हमारी कहानी बता देंगे.
बहुत सोचने के बाद हम दोनों ने फैसला किया कि इनको हां बोल देते हैं क्योंकि हम दोनों को ही बदनामी का डर था.
मैंने किशोर से कहा- तुम बाहर चले जाओ क्योंकि मैं तुम्हारे सामने नहीं चुद सकती.
किशोर ने कपड़े पहने और बाहर निकल गया.
उसके जाते ही मैंने दारू की बोतल मुँह से लगाई और चार बड़े घूँट नीट ही पी लिए.
मुझे उन दोनों से चुदने के लिए हिम्मत चाहिए थी जो दारू से मिल सकती थी.
कुछ देर में वो दोनों अन्दर आ गए और दरवाजा बंद कर लिया.
मैं पलंग पर चादर ओढ़े बैठी हुई थी अन्दर से पूरी तरह से नंगी थी.
अमित मेरे करीब आया और उसने चादर खींच कर अलग कर दी.
मैं अपने हाथों से अपने नंगे बदन को छुपाने की नाकाम कोशिश करती रही.
अमित और मोनू ने भी अपने कपड़े निकाल दिए और नंगे हो गए.
मेरी नजर दोनों के लंड पर गई.
अमित का लंड तो नार्मल ही था मगर मोनू का लंड देख मुझे डर लगने लगा क्योंकि उसके लंड के सामने किशोर और अमित का लंड कुछ भी नहीं था.
उसका लंड काफी मोटा और करीब 7 इंच लंबा था.
दोनों ही उम्र में मुझसे काफी बड़े थे अंकल टाइप और शादीशुदा थे, मैं उनके सामने छोटी ही थी.
मगर मेरा गदराया बदन किसी भी औरत से कम नहीं था.
दोनों बिस्तर पर आ गए और अमित मुझसे लिपट कर मुझे घुटने के बल खड़ा करके मेरे दूध चूसने लगा.
मोनू मेरे पीछे आ गया और मेरी पीठ से लिपट गया.
मोनू मुझसे इस तरह से लिपटा हुआ था कि उसका लंड मेरे चूतड़ों के नीचे से मेरी गांड के छेद से टकराता हुआ मेरी चूत तक जा रहा था और वो जानबूझकर लंड को छेद में रगड़ रहा था.
मुझे डर इस बात का लग रहा था कि कहीं वो मेरी गांड में ऐसे ही अपना लंड न डाल दे.
मैं उसके मोटे लंड से अपनी गांड नहीं चुदवाना चाहती थी.
इधर अमित पूरे जोश से मेरे दूध को दबाते हुए चूस रहा था.
मोनू भी बगल से अपना हाथ डालते हुए मेरे दूध दबा लेता था.
फिर वो कभी अपने हाथों से मेरे बड़े बड़े चूतड़ों को दबाता और सहलाता.
मैं दोनों के बीच में दबी जा रही थी.
काफी देर तक दोनों मेरे नंगे बदन से खेलते रहे. फिर कुछ समय बाद मुझे बिस्तर पर लिटा दिया.
अमित मेरे ऊपर आकर लेट गया और उसने मेरे होंठ चूमते हुए अपना लंड मेरी चूत में लगा दिया.
एक झटके में उसने पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया और जोर जोर से धक्के लगाते हुए मुझे चोदने लगा.
मैंने दोनों हाथ उसके सीने पर लगा दिए ताकि वो ज्यादा जोर से धक्के न लगा सके.
मगर वो चुदाई में माहिर था.
उसने मेरे सीने पर अपना सीना रखते हुए मुझे दबा लिया और दनादन मेरी चुदाई चालू कर दी.
उधर मोनू अपने हाथों से अपना लंड सहला रहा था और कुछ समय पर बाद मेरे बगल में आकर बैठ गया.
बगल में बैठ कर अपना लंड कभी मेरे गालों पर घुमाता, कभी मेरे होंठों पर.
फिर अचानक से अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया और न चाहते हुए भी मुझे उसका लंड चूसना पड़ा.
अब मेरे मुँह में मोनू का लंड था और चूत में अमित का लंड था.
कुछ समय बाद मैं भी गर्म हो गई थी और मुझे उनकी चुदाई में भी मजा आने लगा था.
मेरे मुँह से मादक आहें निकलने लगी थीं ‘आह आआह आह … उफ़्फ़फ्फ ऊऊ … ऊह हहह …’
कुछ समय तक वो ऐसे ही मुझे चोदता रहा और जब अमित का पानी निकलने वाला था तो उसने अपना लंड निकाल लिया और मेरे ऊपर मोनू चढ़ गया.
मैं सोच में पड़ गई कि अगर ये दोनों ऐसे बारी बारी से मुझे चोदते रहेंगे तो मेरी तो बुरी हालत हो जाएगी.
मोनू ने मेरे ऊपर आकर एक बार में ही अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया.
उसका लंड इतना मोटा था कि मैं जोर से चिल्ला पड़ी- ऊऊ ऊईई ई माँआआ … मर गई … आराम से करो!
मोनू थोड़ा बेरहम था, उसने मुझे गाली देते हुए कहा- साली मादरचोद, इतनी रात में चुदवाने आई है और अब गांड फट रही तेरी … रोज गांव में अपनी जवानी दिखाती थी. आज मौका मिला है, आज तो तुझे जमकर चोदना है मेरी कुतिया.
इतना कहने के बाद वो अपनी पूरी ताकत लगाकर मुझे चोदने लगा.
मैं उछलती जा रही थी, चिल्लाती जा रही थी और वो बस चोदते जा रहा था.
उसने मेरे दोनों दूध अपने दोनों हाथों से पकड़ लिए और अपना पूरा वजन मेरे ऊपर लाद दिया.
अगर किशोर और अमित की चुदाई से तुलना करती तो मोनू की चुदाई काफी दर्दनाक और तेज थी.
जल्द ही मेरी चूत से फच फच की आवाज आने लगी. मेरे पेट पर उसके जोरदार धक्के लग रहे थे.
मैं कभी जोर से अपने पेट को पकड़ती, कभी मोनू को रोकने की कोशिश करती मगर उसकी ताकत के सामने मेरी ताकत कुछ भी नहीं थी.
पूरा बिस्तर जोर जोर से हिल रहा था और बगल में खड़े होकर अमित अपना लंड सहला रहा था.
करीब दस मिनट बिना रुके मोनू मुझे बेरहमी से चोदता रहा.
उसके बाद वो मेरे ऊपर से उठा और मेरा हाथ पकड़कर मुझे बिस्तर से नीचे खींच लिया.
उसने मुझे फर्श पर खड़ा किया और अमित से बोला- तू आगे से इसकी चूत चोद … मैं पीछे से इसकी गांड चोदता हूं.
इतना सुन मैं नखरे चोदने लगी और उससे बोली- नहीं नहीं, ऐसा मत करो, मैं ऐसे नहीं करवाऊंगी. मैं एक साथ दोनों को नहीं झेल पाऊंगी.
मोनू- चुप साली मादरचोद, मजा खराब मत कर … हम दोनों प्यार से ही चोद रहे हैं तुझे. आखिर तू चुदवाने के लिए ही तो आई है न यहां … तो अब चुदवा जी भर के.
अब उसने सामने टंगी अपनी पैंट की जेब से अद्धा निकाला और मुँह से लगा कर घूँट लगाने लगा.
मैं अपने होंठों पर जीभ फेर रही थी.
उसने मेरी तरफ अद्धा किया तो मैंने बिना शर्म के मुँह से लगा लिया.
मुझे दारू पीकर चुदाई में मजा आने लगा था और आज पहली बार दो लंड एक साथ मेरे साथ खेलने वाले थे.
दारू हलक के नीचे गई तो मुझे उसकी बात सही लगने लगी थी.
मेरी गांड चूत दोनों खुली थीं तो मुझे कुछ ज्यादा नहीं होने वाला था और आज एक साथ आगे पीछे से लंड लेने का डबल सेक्स का मजा भी मिलने वाला था.
मैंने मन बना लिया था कि ड्रामा करती रहूँगी और दोनों के लंड का मजा भी लेती रहूँगी.
उसके बाद अमित ने मेरी कमर में हाथ डाला और अपना लंड चूत में लगा कर अन्दर डाल दिया.
पीछे से मोनू ने मेरी गांड में अपना थूक लगाया और लंड छेद में लगाकर अन्दर डालने लगा मगर लंड बार बार छिटक कर अलग हो जाता.
उसने मेरी चूत का पानी लेकर गांड के छेद पर लगाया और उसे अच्छे से गीला किया.
फिर उसने अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को फैलाकर लंड छेद में लगाया और अन्दर करने लगा.
इस बार उसका लंड दनदनाता हुआ पूरा अन्दर तक चला गया.
मैं उसके मोटे लंड के कारण तिलमिला उठी ‘ऊऊ ऊईई ई मांआआ आआआह आआआ आराम से आआह …’
मगर वो दोनों ही मेरी किसी बात को जैसे सुन ही नहीं रहे थे और दोनों एक साथ मेरी चूत और गांड की चुदाई करने लगे.
मैं खड़ी खड़ी अपने दोनों छेद पर दनादन लंड ले रही थी.
कुछ देर में उन दोनों के लंड पूरे अन्दर बाहर होने लगे.
शुरुआत में तो मुझे डबल सेक्स से काफी तकलीफ हुई मगर कुछ समय बाद मुझे भी पूरा मजा आने लगा.
सच कहूँ तो ऐसा मजा मुझे किशोर भी नहीं दे पाता क्योंकि वो अकेले ही चोदता था.
मगर आज मैं एक साथ दो दो लंड ले रही थी.
उन दोनों ने ही चुदाई जारी रखी. मैं ज्यादा समय तक टिक नहीं पाई और झड़ गई.
इसके बाद अमित भी झड़ गया और वो बिस्तर पर लेट गया.
मगर मोनू ने मुझे पलंग पर झुका दिया और मुझे कुतिया बनाकर मेरी गांड चोदने लगा.
उसने काफी देर तक मेरी गांड की चुदाई की और फिर वो भी झड़ गया.
इस प्रकार सुबह 4 बजे तक उन दोनों ने मेरी 3 बार बहुत बुरी तरह से चुदाई की.
फिर मैंने अपने कपड़े पहने और घर की तरफ चल दी.
मैं आज की चुदाई से बहुत बुरी तरह से थक चुकी थी और मुझसे चलते भी नहीं बन रहा था.
मैं किसी तरह से अपने घर तक पहुंची और सीधा बिस्तर पर लेट कर सो गई.
दोस्तो, उस दिन के बाद अमित या फिर मोनू मुझे अक्सर चोदने लगे.
किशोर तो मुझे कम ही चोदता था मगर वो दोनों लगभग हर रोज मेरी चुदाई किया करते.
मुझे चुदाई की इतनी बुरी लत लग गई थी कि अगर हम लोगों को 10 मिनट का भी वक़्त मिलता, तो चुदाई कर लेते.
मैं रोज शाम होने के बाद अपने घर के पिछवाड़े पर उन तीनों में से किसी न किसी को बुला लेती और वहां बस मुझे अपने सलवार का नाड़ा खींचना होता और खड़े खड़े ही चुदाई करके घर में वापस आ जाती.
इसके साथ ही कई बार रात में किशोर के खेत पर वो तीनों मिलकर मेरी चुदाई करने लगे थे.
हम चारों में दारू के साथ चुदाई का मजा खुल कर चलता.
अब मैं चुदाई के बिना रह ही नहीं सकती थी क्योंकि मुझे इसकी बुरी आदत सी लग गई थी.
दोस्तो, जब तक मेरी शादी नहीं हुई थी तब तक उन तीनों ने ही मेरी प्यास बुझाई थी.
उसके बाद मुझे मायके जाने का उतना मौका नहीं मिलता था और मैं अपने पति से ही खुश थी.
अब मेरी उम्र 47 साल की हो गई है और अब कभी कभी ही चुदाई होती है.
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